’कहानी(22)-रतलाम मेडिकल काॅलेज की...........(गतांग से आगे)....... ’
दिनांक 23 .12.2023
गत अंक में यह वर्णन आया था कि विश्वविद्यालय स्तर पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जाएगी व स्वामी बुद्धदेव जी भक्त मंडल रतलाम आ करके इस निमित्त सहयोग राशि प्रदान करते हुए आगे आया।
तत्पश्चात नगर निगम चुनाव को दृष्टिगत रख राजनीतिक दलों से अपने-अपने चुनाव घोषणा पत्र में मेडिकल कॉलेज स्थापना में सहयोग देने संबंधी उल्लेख की अपील करने पर सभी राजनीतिक दलों ने और उम्मीदवारों ने इस विषय को जोड़ा।
यह बात नवंबर 2004 की है।
इस पर सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा अनिल झालानी एवं शब्बीर डॉसन ने सभी राजनीतिक दलों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए विश्वास व्यक्त किया की सभी राजनीतिक दल एवं संस्थाएं आगे भी इस प्रकार सहयोग देते रहेंगे जिससे यह कार्य अति शीघ्र पूर्ण हो सकेगा जो कि नगर के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा।
29 नवंबर 2004 को कलेक्टर श्री जी के श्रीवास्तव ने एक कार्यालय पत्र जारी कर मेडिकल कॉलेज को मूर्त रूप देने हेतु मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया की मार्गदर्शिका के अनुरूप जो संसाधन जिला चिकित्सालय में सुलभ है उसके अतिरिक्त जिला चिकित्सालय भवन के उन्नयन तथा जो साधन व इंफ्रास्ट्रक्चर जुटाने होंगे, उनका मास्टर प्लान बनाने हेतु तथा अनुमानित लागत का विवरण तैयार के प्रयोजनार्थ एक समिति का गठन किया गया।
समिति में डॉ. जे.एम.सूबेदार, डॉ. एम ए कुरैशी. डॉ. हरीश खंडेलवाल. डॉ. विपिन माहेश्वरी. डॉ, उदय यार्दे, डॉ. पदम घाटे को दायित्व दिया गया कि वे मास्टर प्लान बनाकर प्राथमिकता के आधार पर कौन से कार्य प्रारंभ किए जाने होंगे तथा उसकी अनुमानित लागत सहित विवरण तैयार कर सुलम करावे।
इन डॉक्टरों की संयुक्त बैठक आयोजित करने का निर्वहन की भूमिका का दायित्व डॉक्टर तापड़िया को दिया गया। इनकी मार्गदर्शन व सहायता के लिए(तत्कालीन) पदेन आई. एम. ए. अध्यक्ष तथा वरिष्ठ चिकित्सक डा. एस.एन. मेहरा को योजना के अनुमोदन की कार्रवाई के रूप में जोड़ा गया।
बाद मे इस समिति में कुछ नाम और जोड़े गए तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी वरिष्ठ पैथोलॉजिस्ट डॉ. एन.के. शाह, गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. गोपालन,ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. अनिल बाजपेई को भी समिति मे स्थान दिया गया।
इस प्रकार मेडिकल कॉलेज की स्थापना की ओर धीरे-धीरे ठोस कदम बढ़ाना प्रारंभ हुए और अब कार्यवाहियां व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ाना प्रारंभ हुई किंतु इसमें अकस्मात एक नया मोड़ आया। यह पत्र अभी डॉक्टरों की कमेटी के हाथ में अलग-अलग पहुंचा ही होगा और सदस्यगण बैठक करने का मानस बनाने की ओर आगे बढ़ ही रहे होंगे, इसी दरमियान विक्रम विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक दिसंबर 2004 के द्वितीय सप्ताह में उज्जैन में कुलपति डॉक्टर राम राजेश मिश्रा ने बुलाई । इस बैठक के एजेंडे में रतलाम में मेडिकल कॉलेज खोलने की अग्रणी भूमिका विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित किए जाने संबंधी विषय भी उसके एजेंडे में प्रमुख रूप से सम्मिलित किया।
इस समाचार पर रतलाम की जनता में मेडिकल कॉलेज खोलने उम्मीद जगी और ऐसे लगने लगा की विगत 8-10 महीने की मेहनत के बाद जो प्लेटफॉर्म हुआ था, उसका प्रयोग सफल होने के कगार पर आकर अब उसके आकार में आना प्रारंभ हुआ है।
कलेक्टर श्री जी. के. श्रीवास्तव द्वारा अपने निजी चिंतन से तथा पुराने अनुभव के आधार पर नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना के संबंध में जो फॉर्मेट तैयार किया गया था। इस फॉर्मेट को आधार लेकर त्रिपुरा की राज्य सरकार ने अगरतला में निजी पूंजी से शासकीय अस्पतालों को उन्नयीकरण त्रिपुरा युनिवर्सिटी से एफिलेटेड कर 100 सीटों वाले मेडिकल कॉलेज स्थापना करने का राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञापन प्रसारित किया इस विज्ञापन की भाषा ठीक बैठी ही थी जिसके ढ़ांचे पर रतलाम मे मेडिकल कालेज खोलने की भूमिका निर्धारित की जा रही थी। विज्ञापन मे निजी संस्थानों से आर्थिक सहयोग के रूप में निवेश का न्यौता देते हुए निजी संस्थान के द्वारा मेडिकल कॉलेज संचालित करने का एक टेंडर प्रस्ताव जारी किया।
यह उन आलोचकों को जवाब देने हेतु पर्याप्त था जो रतलाम में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के संबंध में बनाए जा रहे फार्मुर्लों के आधार पर किए जा रहे प्रयासों का उपहास उड़ते आ रहे थे।
क्रमशः...........
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