तेरवा अंक ’कहानी-रतलाम मेडिकल काॅलेज की.....(गतांक से आगे)....... (13)’
गत अंक में हमने पढ़ा कि कलेक्टर श्रीवास्तव मुंबई में स्वामी बुद्धि देव जी से बैठक कर उन्हें मेडिकल कॉलेज की योजना समझाई तथा उनसे सहयोग मांगा। उनसे कालेज स्थापना हेतु आगे आने के लिए कहा। अपने दिए गए आश्वासन अनुसार 96 वर्षीय पूज्य स्वामी जी 31 मई 2004 को रतलाम पहुंचे। रतलाम पहुंचते ही उन्होंने स्वयं अपनी ओर से मेडिकल कॉलेज प्रोजेक्ट की गहराई में जाकर इसके व्यावहारिक पहलुओं को समझना का प्रयास किया और इसलिए उन्होंने रतलाम जिले चिकित्सालय को देखने की इच्छा जाहिर की
अगले दिन सुबह अर्थात 1 मई शनिवार को हम स्वामी जी को लेकर जिला चिकित्सालय परिसर का निरीक्षण करने हेतु पहुंचे। जहां आरती कर गुरुदेव की अगवानी सिविल सर्जन डाॅ. एम.एल. गुप्ता, डॉ राजेश पाटनी, डॉ. अजय सोनगरा, डॉ सुनील राठौर, दिनेश आचार्य, अनिल राठौड़ आदि ने करी। इस दौरान उनके साथ स्वामी बुद्धदेव जी महाराज ट्रस्ट के भरत भाई देसाई, मनु भाई व प्रदीप भाई सहित गुजरात व एन.आर.आई ट्रस्टीगण भी थे। लगभग एक घंटा तक जिला चिकित्सालय में महाराज श्री ने हर यूनिट का सूक्ष्मता से अवलोकन किया और मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एम.के. गुप्ता ब्लड बैंक प्रभारी दिनेश आचार्य चतुर्वेदी से विभिन्न जानकारियां प्राप्त की। इस अवसर पर जिला प्रशासन की ओर से अपर कलेक्टर श्री जे.के. जैन भी साथ रहे।
अस्पताल के बाद स्वामी जी कलेक्टर श्री जी के श्रीवास्तव के निवास पर गए। श्रीवास्तव दम्पत्ति ने गुरूदेव की आरती उतारी। वहां पर श्री हिम्मत कोठारी जी को जिलाधीश महोदय ने पहले से आमंत्रित किया हुआ था। वे भी पधारे और उन्होंने स्वामी जी से आशीर्वाद लिया। कुछ रूकने के बाद श्री कोठारी जी अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में भाग लेने हेतु प्रस्थित हो गए।
हॉस्पिटल जाने से पूर्व मेरे (अनिल झालानी) द्वारा स्वामी जी को सैलाना मार्ग पर स्थित इस भूखंड का अवलोकन कराया गया जहां पर वर्तमान में आज मेडिकल कॉलेज बनकर खड़ा है।
उसी दिन दोपहर में कलेक्टर श्रीवास्तव के आमंत्रण पर स्वामी बुद्धि देव जी महाराज ट्रस्ट के सदस्य कलेक्टर कार्यालय गए। उन्होंने लगभग डेढ़ घंटे तक इस संबंध में चर्चा करी। आपके साथ पूर्व नगर विधायक शिवकुमार झालानी, समाजसेवी, श्री शब्बीर डाॅसन व अनिल झालानी अर्थात मैं भी शामिल था।
चार दिन के रतलाम प्रवास के पश्चात स्वामी जी पंजाब के लिए प्रस्थित हो गए। स्टेशन पर उन्होंने भास्कर के संवाददाता को हॉस्पिटल व मेडिकल कॉलेज के संबंध में सकारात्मक रूख दिखाया। वह साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय सामाजिक संस्थाओं व सभी धर्म (इशारा बोहरा समाज की ओर था) के लोगों को इस पुनीत कार्य में आगे आने की और सहयोग देने की आवश्यकता है।
अब पूर्व की पकाई हुए तैयारी के संबंध में कुछ पुराने चल रहे हैं प्रयासों को आगे बढ़ाने की कड़ी में 6 मई 2004 को कलेक्टर श्रीवास्तव के आग्रह पर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के पूर्व कुलपति डॉक्टर भरत छापरवाल भी रतलाम पधारे । कलेक्टर श्रीवास्तव मेडिकल कॉलेज की स्थापना के दौरान आने वाली कठिनाइयां एवं उनके निराकरण हेतु डाॅ. छापरवाल की मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लंबे व गहने अनुभवों का लाभ लेना चाहते थे। (अपने समाधि) डॉक्टर के के महेश्वरी के साथ दोपहर के वक्त कलेक्टर कक्ष में आयोजित एक अनौपचारिक बैठक में भाग लेने हेतु पहुंचे। जिस बैठक में वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर एम.एस. सैयद, समाजसेवी रवि डफरिया, शब्बीर डाॅसन, मैं (अनिल झालानी) आदि उपस्थित थे।बैठक में डॉक्टर छापरवाल ने कहा कि रतलाम में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हेतु स्थिति एवं वातावरण अनुकूल है। वर्तमान में यहां मेडिकल कॉलेज की आवश्यकता भी है।
इस प्रकार प्रतिदिन कुछ न कुछ इस दिशा में आगे प्रगति होती जा रही थी। ऐसा लगने लगा था कि कलेक्टर श्रीवास्तव के पास एक मात्र यही लक्ष्य रह गया है।
स्वामी बुध देव जी से सहयोग मिल जाने की उम्मीद के बाद अब इस बात पर चिंतन चलने लगा कि अंततः धन संग्रह किया जाए तो कहां से किया जाए व किस प्रकार किया जाए। क्योंकि बहुत सोंच विचार कर भी किसी बड़े दानदाता या संस्था आदि का नाम सामने नहीं आ पा रहा था। काफी मंथन के बाद प्रारंभिक रूप से तय हुआ कि शहर की सामाजिक संस्थाओं की एक बैठक आयोजित कर मेडिकल कॉलेज की जो तैयारी चल रही है उस से उन्हें अवगत कराया जाए और आर्थिक सहयोग के विषय में उनके समक्ष यह बिंदु रखा जाए। सामाजिक संस्थाओं से सुझाव मिलने पर आगे की रूपरेखा तय की जाएगी। कलेक्टर ने इस बात का बीड़ा उठाने का दायित्व अपर कलेक्टर जे.के. जैन को सौपा। श्री जे.के. जैन ने और हमने उस समय की सक्रिय संस्थाओं की सूची बनाना प्रारंभ की और कुछ नाम छाटे और बैठक की तैयारिया प्रारम्भ की।
इधर दूसरी ओर यह भी हुआ कि मेडिकल काॅलेज पर श्री हिम्मत कोठारी जी का लेबल लगा हुआ था। तो हमारी सक्रियता से श्रेय का मुद्दा जुड़ जाने की आशंका मे अन्दर ही अन्दर एक नये मामले ने जन्म लेना प्रारम्भ किया। एक तो प्रदेश में भाजपा की सरकार बन चुकी थी, और हमारी (अनिल झालानी व श्री शिवकुमार झालानी) की पृष्ठ भूमि कांग्रेस पाटी की थी। यह सुगबुगाहट होने लगी कि एक वर्ग दबी जुबान से मेडिकल काॅलेज की स्थापना के संबंध में चल रही गतिविधी में हमारी भूमिका से नाराज हो रहा था। जिलाधीश के निवास पर स्वामी बुधदेवजी के आगमन के समय श्री हिम्मत कोठारी जी को भी वहां बुला लेना संभवतः श्री.श्री वास्तव सा. की यही संतुलन बिठाने की जुगत थी।