चौदवा अंक कहानी-रतलाम मेडिकल काॅलेज की…(गतांक से आगे). (14)
हम मई 2004 की स्थितियों का वर्णन कर रहे हैं जब मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए शहर में जोर-शोर से चर्चाएं चलने लगी थी। यह चर्चा तत्कालीन जिलाधीश श्रीवास्तव द्वारा नित नवीन प्रयासों के फल स्वरुप तीव्रता लिए हुई थी। शहर में चहुंओर सकारात्मक वातावरण बन चुका था। जैसा कि पूर्व के अंक में हमने उल्लेखित किया था कि शहर की तमाम सामाजिक संस्थाओं/समाजसेवी संस्थाओं की सूची बनाकर के उनकी मीटिंग बुलाई जाकर तथा उन्हें कॉलेज स्थापना की प्रगति को संबंध में जानकारी दी जावे तथा सहयोग के हाथ बढ़ाए जावे। इसी परिपेक्ष में सूची तैयार की गई है,तदनुसार 14 मई 2004के दिन कलेक्टर सभा कक्षा में शहर की तत्कालीन समय में सक्रिय विविध समाज सेवी संस्थाओं के पदाधिकारी को आमंत्रित किया गया। (सूचि)
बैठक में मेडिकल काॅलेज कीसूक्ष्म प्रोजेक्ट रिपोर्ट एक पृष्ठ का संक्षिप्त अनुमान पत्रक, के रूप में तदर्थ रूप से तैयार कर सदस्यों के बीच में उनके विचारार्थ वितरित किया गया।जिसमें मेडिकल कॉलेज की न्यूनतम लागत दिखाते हुए उसे संभाव्य प्रदर्शित करते हुए संस्थाओं को उत्साहित व आकर्षित करने का प्रयास किया गया।
बैठक के निर्णय व कार्यवाही की जानकारी उस दिन के समाचार पत्र से मिलती है जो हूबहू यहां उद्यृत की जा रही है जिसमें बैठक में उपस्थित सभी संस्थाओं के नाम तथा पदाधिकारी के नाम भी उल्लेखित है।
''रतलाम शहर की सामाजिक संस्थाओं ने आज एक साथ मिलकर एक स्वर से रतलाम शहर में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हेतु तन मन धन से योगदान देने का संकल्प लिया। रतलाम में मेडिकल कॉलेज की स्थापना का स्वप्न रतलाम की जनता का है जिसे पूर्ण करने हेतु वह हर संभव योगदान के लिए तत्पर है। विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों की जिलाधीश सभागृह में जिलाधीश जी.के.श्रीवास्तव के साथ अनौपचारिक चर्चा के दौरान उपस्थित सदस्यों ने उक्त बात अपने विचार व्यक्त करने के दौरान कही।उक्त जानकारी देते हुए रेड क्रॉस उपाध्यक्ष श्री अनिल झालानी ने बताया कि निर्वाचन कार्य संपन्न होने के साथ ही जिलाधीश श्री श्रीवास्तव ने रतलाम में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए अपने प्रयास तीव्र करते हुए प्रमुख सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से इसकी स्थापना की संभावनाओं के संबंध में विचार विमर्श किया। आपने अब तक के प्रयासों की जानकारी देते हुए रतलाम शहर में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की आवश्यकता ,अनुकूलता ,लाभ और इसकी स्थापना के लिए प्राप्त आश्वासन की जानकारी दी। चर्चा में सदस्यों की आम राय थी कि रतलाम की जनता स्वयं इसका बीड़ा उत्थान उठाने हेतु आगे आने को तैयार है। कलेक्टर श्रीवास्तव ने इसकी स्थापना हेतु मजबूत नींव तैयार करके देने का आश्वासन दिया।संपन्न बैठक में उपस्थित सदस्यों ने विभिन्न महत्वपूर्ण सुझाव के साथ-साथ सभी संस्थाओं ने आगामी वर्षों में अपने-अपने क्लबो आदि को आगामी वर्षों के लिए मेडिकल कॉलेज की स्थापना को अपनी गतिविधि का मुख्य लक्ष्य अंगीकृत करने का निर्णय लिया। सदस्यों ने रतलाम से बाहर रह रहे अनिवासी रतलामी एवं अनिवासी भारतीय जो विदेशों में बसे हैं उनसे भी संपर्क कर इसमें सहयोग देने का निर्णय लिया। अंत में जिलाधीश, श्रीवास्तव ने जन अभियान के माध्यम से इसकी स्थापना हेतु जोर दिया। चर्चा में रोटरी अंतरराष्ट्रीय के पूर्व मंडल अध्यक्ष शरद फाटक, महावीर इंटरनेशनल के जोन अध्यक्ष सुभाष जैन एवं अध्यक्ष हीरालाल चोपड़ा, संभागीय उद्योग संघ के आगामी अध्यक्ष हरजीत चावला एवं सचिव रियाज हुसैन, चेंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव श्रेणिक द्योचा एवं पूर्व सचिव महेंद्र बोथरा, जैन सोशल ग्रुप के अध्यक्ष नरेंद्र गादिया एवं पूर्व जॉन चेयरमैन विजेंद्र गादिया, लायंस क्लब रतलाम अध्यक्ष दिनेश स्याल एवं पूर्व अध्यक्ष उम्मेद सिंह गालुंदिया, रोटरी क्लब रतलाम अध्यक्ष गिरीश अग्रवाल, रोटरी सेन्ट्रल अध्यक्ष अशोक डांगी, लायंस ग्रेटर अध्यक्ष शैलेश पीपाड़ा एवं जॉन अध्यक्ष रवि बोथरा, जैन सोशल ग्रुप सेन्ट्रल, अध्यक्ष राजेंद्र लुणावत, लायंस क्लब क्लासिक के पूर्व अध्यक्ष आनंदीलाल गांधी, जैन सोशल ग्रुप सेंट्रल के पूर्व अध्यक्ष मनोज कटारिया, जैन सोशल ग्रुप मेंन के सचिव राजेंद्र दर्डा, जैन सोशल ग्रुप ग्रेटर के पूर्व अध्यक्ष सुनील शाह आदि के साथ एडीएम श्री जे.के जैन एवं रेड क्रॉस के अनिल झालानी व शब्बीर डासन भी उपस्थित थे ''।
इनसे संस्थाओ से मेडिकल कालेज खुलने की अवस्था मे उनकी ओर से अधिक योगदान देने की सहमति पत्र भी मंगवाने की औपचारिकता भी की गई।
इस प्रकार एक अगला चरण प्रारंभ हुआ। इसी बीच दिनांक 28 मई 2004 के स्वदेश अंक में शहर के वरिष्ठ पत्रकार श्री शरद जोशी ने अपने नियमित स्तंभ ‘कुछ इधर की कुछ उधर की‘‘ में मेडिकल कॉलेज के किया जा रहे प्रयासों की जमकर खिल्ली उड़ाई। उनके मतानुसार पूर्व में भी कई जिलाधीशों ने अपने-अपने कार्यकाल में विभिन्न प्रकार की योजनाएं शहर जिला को उन्नत बनाने की दिशा में प्रारंभ की। किंतु उनके स्थानांतरण के साथ ही वे योजनाएं स्वप्न बिखरते हुए चले गई, दफन हो गई और यही हश्र मेडिकल कॉलेज के प्रयासों का होना सुनिश्चित है। अपने आलेख में उन्होंने पूर्व जिलाधीशों के प्रयासों का विस्तार से उल्लेख भी किया।
जैसा कि हम पूर्व में उल्लेखित कर चुके हैं कि आज पर्यंत जो भी कार्य किए गए थे वह अशासकीय स्तर पर अनाधिकृत रूप से ही किए जाते रहे। जिसमें शासन या प्रशासन का कोई सीधा-सीधा किया गया प्रयास सिद्ध या प्रमाणित नहीं होता है। किंतु अब यह आवश्यक हो गया था की इस सारी कवायद को प्रशासनिक स्तर पर पटेल पर लाया जावे और इसी परिपेक्ष में कलेक्टर कार्यालय द्वारा रतलाम के प्रबुद्ध वर्ग को मेडिकल कॉलेज की स्थापना के संबंध में अब तक की समस्त कार्यवाहियों से अवगत कराने तथा इस कार्रवाई को मूर्त रूप देने के लिए रणनीति तैयार करने के संबंध में विचार विमर्श करने हेतु जनप्रतिनिधियों एवं जवाबदारों एक आधिकारिक बैठक का आयोजन करने के संबंध में निमंत्रण पत्र विधिवत प्रेषित किए गए। बैठक की यह सूचना पत्र दिनांक 28 जनवरी 2004 को तत्कालीन अपर कलेक्टर श्री जी के जैन के हस्ताक्षरसे भेजे गए।