’कहानी-रतलाम मेडिकल काॅलेज की...........(गतांक से आगे)....... (15)’
गत अंक में हमने बताया था कि अब विधिवत प्रशासनिक स्तर पर कॉलेज स्थापना के संबंध में कार्यवाही प्रारंभ होना शुरू हुई। जिसकी कड़ी में कलेक्टोरेट में जनप्रतिनिधि और प्रबुद्ध लोगों की एक बैठक दिनांक 30 जून 2004 को आमंत्रित की गई। योग संयोग से उसे दिन सभी जनप्रतिनिधी अपने किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों में व्यस्त थे। इस कारण से उस दिन बैठक में भाग नहीं ले सके। जिनमें से कुछ की सूचना व जानकारी जिलाधीश को पूर्व से ही मिल चुकी थी। विषय चंुिक रतलाम शहर से संबंधित था, इस कारण भी जिले अन्य जनप्रतिनिधियों को बैठक में उपस्थिति की अनिवार्यता प्रतीत नहीं हुई। कहा जा सकता है कि वह बैठक एक प्रकार से असफल रही।
बैठक में सबसे महत्वपूर्ण उपस्थिति श्री हिम्मत कोठारी जी की थी। बैठक मे अपर कलेक्टर जे.के.जैन मुख्य जिला एवं स्वस्थ अधिकारी एम.एल.गुप्ता उपसंचालक जनसम्पर्क अशोककुमार मिश्रा, अनिल झालानी, शब्बीर डासन आदि जितने लोग उपस्थित थे, उन्हें योजना के संबंध में संपूर्ण जानकारी थी तथा वे सब उससे अवगत थे।
बैठक के प्रारंभ में ही जिलाधीश महोदय द्वारा किसी अन्य दिन पुनः बैठक रखने का की बात रख दी गई थी। इस पर श्री हिम्मत कोठारी ने सुझाव दिया की आगामी बैठक के पूर्व सभी सदस्यों को मेडिकल कॉलेज की योजना से संबंधित एक प्रस्ताव बना करके उनके विचारार्थ पूर्व से ही भेज दिया जावे। जिसमे योजना की जानकारी के साथ ही अब तक किये गए प्रयास व उसके परिणामो का उल्लेख हो ताकि बैठकमें आते समय वे सभी अपने विचारों और सुझावों के साथ बैठक में उपस्थित हो सके। आगामी बैठक 10 जूलाई 2004 को आयोजित करना तय हुआ।
किंतु अब यह सब मात्र औपचारिकता थी। इस योजना पर कदम बढ़ाए जाना जारी था। इधर भूमि स्थल का चयन की कार्य भी प्रगति पर था। सालाखेडी, बिबड़ोद, डोसीगांव, जेल, मंडी परिसर आदि के पश्चात बंजली की भूमि जिस पर अभी काॅलेज संचालित है, वह देखी गई थी। 5 कि.मी. की दूरी एवं जिला चिकित्सालय से संबंधता के नियम का पालन की बाध्यता के कारण व सुगम्यता के नजरियें से बंजली वाली भूमि उपयुक्त पाई गई। और लगभग एक प्रकार से प्रशासनिक स्तर पर संाकेतिक रूप से इस प्रयोजन हेतु आरक्षित कर ली गई। अर्थात इस स्थान की प्रथम नीवं 2004 में पड़ चुकी थी।
दिनांक 26 जुलाई 2004 को जिला के प्रभारी मंत्री गृह राज्य मंत्री श्री जगदीश जी देवड़ा जब रतलाम पधारे, तब रतलाम प्रेस क्लब ने श्री देवड़ा जी को ज्ञापन सौंप कर नगर में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हेतु चल रहे प्रयासों में शासन की ओर से मदद दिए जाने की अपील की। संस्था अध्यक्ष दिलीप पाटनी सचिव श्रेणिक बाफना एवं क्लब के सदस्यों द्वारा सर्किट हाउस पर श्री देवड़ा को इस सम्बंध में ज्ञापन सौंपा।
इधर 9 अगस्त 2004 की शाम को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के तत्वावधान में एक चिकित्सा संगोष्ठी आयोजित की गई थी। उस चिकित्सा संगोष्ठी में भाग लेने वालों को पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एम.एल. गुप्ता एवं डॉ एन.के. शाह ने शहर में मेडिकल कॉलेज खोलने संबंधी प्रोजेक्ट की जानकारी दी।
दिनांक 16 अगस्त 2004 को रतलाम शहर में महावीर इंटरनेशनल का पद ग्रहण समारोह हुआ। इस कार्यक्रम में श्री हिम्मत कोठारी, श्री वरूण कपूर, श्री मानक भाई अग्रवाल आदि की उपस्थिति में वक्ताओं ने मेडिकल कॉलेज की तैयारी का उल्लेख किया। प्रभारी मंत्री श्री जगदीश जी देवड़ा जो कि समारोह के मुख्य अतिथि थे, उन्होंने मेडिकल कॉलेज के लिए हर संभव मदद देने की घोषणा की।
समारोह में कलेक्टर श्रीवास्तव ने कहा कि जिले से मुझे जैसा सहयोग मिल रहा है वैसा कहीं और नहीं मिला। सहयोग के इसी आधार पर हम 20 करोड रुपए की लागत से मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का सपना संजोए है। कुछ ही दिनों में योजना जनता के सामने रख दी जाएगी। इस अवसर पर क्लब के पूर्व अध्यक्ष सुभाष जैन ने वर्तमान अध्यक्ष हीरालाल चोपड़ा को पद की शपथ दिलाई। नवनियुक्त अध्यक्ष श्री हीरालाल चोपड़ा ने क्लब की ओर से मेडिकल कॉलेज के निर्माण के वक्त आईसीयू यूनिट स्थापित करने की घोषणा की।
टर्निग पाईन्ट:-
मुख्य समस्या और विचारणीय प्रश्न यह उपस्थिति हुआ कि यदि सब के सहयोग से मेडिकल कॉलेज डालना संभव हुआ भी, तो वह आखिर किस बैनर पर, या फिर किस अधिकृत एजेंसी के माध्यम से क्रियान्वित किया जाना संभव हो सकेगा। क्योंकि जिलाधीश महोदय इसको शासकीय स्वरूप में आम विद्यार्थियों को शिक्षा के द्वार खुला रखते हुए, सरकारी फीस के ढांचे पर संचालित करने की मंशा रखते थे। किसी भी प्रकार के निजीकरण की छांव या हाथों से इसे दूर रखने की चाह थी व किसी सरकारी एजेंसी के बैनर तले इसकी स्थापना करना चाहते थे। अतः क्या ट्रस्ट बनाया जाए? एज्युकेशनल समिति बनाई जावे? या कुछ और ? यह विचार मंथन शुरू हुआ।
इस बीच एक युक्ति खोजी गई कि क्यों ना इसे रोगी कल्याण समिति के माध्यम से संचालित किया जाए.........!