उत्तराखण्ड सुरंग हादसे में फंसे मजदूर जल्दी निकाल लिए जाते यदि मान लिया होता अनिल झालानी का सुझाव
उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में पिछले दस दिनों से फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए अब विदेशी विशेषज्ञों की मदद भी ली जा रही है। सुरंग में फंसे मजदूरों तक सीसीटीवी कैमरा पंहुचा दिया गया है और सभी मजदूरों के सुरक्षित होने की सूचना भी आ चुकी है। करीब तीन वर्ष पहले सृजन भारत के अनिल झालानी के सुझाव को गंभीरता से लिया होता तो या तो ऐसे हादसे को टाला जा सकता था,या कम से कम हादसा होने की स्थिति में मजदूरों को जल्दी ही सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया होता।
सृजन भारत के अनिल झालानी ने नार्वे की यात्रा के बाद विगत 20 जुलाई 2020 को सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और केन्द्रीय सडक अनुसन्धान संगठन के निदेशक को पत्र लिखकर देश में सुरंग निर्माण तकनीक संस्थान की स्थापना करने का सुझाव दिया था। श्री झालानी ने अपने पत्र में कहा था कि पहाडी रास्तों को चौडीकरण के लिए पहाडों का कटाव और मिट्टी के क्षरण से वृक्षों और वनों को नुकसान होने की आशंका है। ऐसी स्थिति में पहाडों के भीतर सुरंगेबनाकर रेल व सडक मार्गों का विकास किया जाना ही उपयुक्त समाधान है।
श्री झालानी ने ने नार्वे यात्रा के दौरान बर्गन शहर से फ्लेम शहर तक सडक यात्रा की थी। उन्होने देखा कि यह पूरी सडक एक लेवल में बनी हुई थी और कहीं भी उंची नीची नहीं थी। रास्ते में पडने वाले पहाडों में से सुरंग बनाकर सडक निकाली गई थी। श्री झालानी ने अपने पत्र में कहा था कि देश की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए देश में सैैंकडों सुरंगों की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि विगत कुछ वर्षों से देश के सड़क मंत्रालय द्वारा लद्दाख और अन्य दुर्गम पहाडी क्षेत्रों को जोडने के लिए दर्जनों सुरंगों का निर्माण भी किया गया है।
श्री झालानी ने सुझाव दिया था कि देश को अत्यधिक सुरगों की आवश्यकता को देखते हुए देश में पृथक से एक सुरंग निर्माण तकनीकी संस्थान को स्थापित किय जाना चाहिण,ताकि सुरंग निर्माणके दौरान आने वाली कठिनाईयो और संभावित दुर्घटना की स्थिति में बचाव के उपायों पर विस्तृत शोध और अध्ययन किया जा सकता। यदि इस प्रकार का तकनीकी विशेषज्ञता बढाने वाले संस्थान की स्थापना पहले हो गई होती तो आज विदेशी सहायता की आवश्यकता शायद नही होती और न सिर्फ दुर्घटना को टाला जा सकता था बल्कि दुर्घटना की स्थिति में त्वरित बचाव के उपाय भी खोजे गए होते।जिसका फायदा सुरंग में फंसे मजदूरों को जल्दी से जल्दी निकालने के रुप में होता।