एक छोटी सी राष्ट्रव्यापी समस्या के समाधान हेतु मोदी सरकार को दिए सुझाव के क्रियान्वयन के दृश्य पर ‘स्वान्तः सुखाय‘ का अनुभव!!!
लेखक विचारक अनिल झालानी
भवन निर्माण में उपयोग में आने वाले लोहे के सरिया लंबे-लंबी साइज में कारखाने से निकलकर ट्रैकों और ट्रैक्टरों के माध्यम से बाहर निकलते हुए -लटकते हुए जोखिम भरी अवस्था में दुकानों तक पहुंचते हैं। उसके पश्चात दुकानों से उनके निर्माण स्थल पर ठेले, बैलगाड़ी, ट्रैक्टर, ट्रक इत्यादि साधनों से पहुंचते है।फिर सड़क पर लम्बे सरियों को ’बकासुर वध ’ नुमा पद्धति से सीधा कर कॉलम, बीम,छतों की साइज के अनुसार काटकर उपयोग में लाया जाता है।
इस संपूर्ण प्रक्रिया में कई प्रकार की जनहानि- दुर्घटनाएं के भी समाचार मिलते हैं तथा उनका लोडिंग --अनलोडिंग, हैंडलिंग, कटिंग इत्यादि की प्रक्रिया भी जोखिम भरी है। सड़को का स्थल घिरता है व ठुकाई पिटाई से खराब होती थी।
इस समस्या पर विचार करते हुए विगत वर्षों में सृजन भारत(अनिल झालानी) द्वारा 9 नवंबर 2020 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को पत्र लिखकर सुझाव दिया था कि कानूनी रूप से इस प्रकार का प्रावधान किया जाए कि सरिये एक निश्चित साइज व आकार में रोलिंग मिलों में ही कट कर तैयार हो। इसके बाद वह बंडलों या भारी के माध्यम से बिक्री की दुकान पर व उसके पश्चात निर्माण के लिए उपयोगकर्ता के स्थल तक पहुंचाने की एक प्रणाली विकसित हो।
इस प्रकार की एक पद्धति बने कि जिसमें व्यक्ति को अपने उपयोग हेतु जिस साइज के जितने- जितने सरियों की आवश्यकता हो, वह कटे कटाये सरिये, सीधे रोलिंग मिल से निकलकर विक्रय केन्द्रों ओर वहां से निर्माण स्थल तक पहुंचाने की एक सुनिश्चित व्यवस्था हो। पत्र की प्रतिलीपी आवास एक शहरी मामलों के मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी, विधि मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद एवं सुक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री नितिन गड़करी जी को भी भेजी थी।
विगत दिवस राजस्थान जाते समय रास्ते में दो वाहन ऐसे ही क्रॉस हुए(एक ट्रक का फोटो नही लिए जा सका), जिन पर हमारे दिए गए सुझाव अनुसार ही उपयोग के लिए तैयार करे हुए तथा सीधे-सीधे निर्माण के उपयोग के योग्य तैयार की व्यवस्था में लोड करते हुए जाते हुए हमने देखा।
अपने स्वान्तः सुखाय अभियान के अन्तर्गत हम अपने मित्रों से साझा करना चाहते है कि उक्त दृश्य देखकर हमें इस बात का आत्मसंतोष हुआ और विश्वास जगा कि दो तीन वर्ष पूर्व दिए गए हमारे सुझाव का जिसका आज किसी न किसी रूप में अन्यों द्वारा पालन हुआ। वह आगे चलकर के निश्चित ही देर सबेर कहीं ना कहीं भविष्य में, एक दिन एक नियमित मुहिम बनकर के अनुकरणीय रूप लेगा।
आशा और उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में हमारे द्वारा दिए गए सुझाव पर बड़ी मात्रा में पालन होगा और आज अपनाई जा रही इस जोखिम भरी तथा अव्यवस्थित सरिया उपयोग प्रणाली से भविष्य मे निजात पाई जा सकेगी।