गत अंक में हमने पढ़ा था की श्री हिम्मत कोठारी जी द्वारा यह सुझाव दिया गया था मेडिकल कॉलेज के संबंध में एक नोट, बैठक के पूर्व बनाकर सब सदस्यों को वितरित किया जाए। उनकी भावना को देखते हुए मेडिकल कॉलेज की स्थापना के संबंध में ताबड़तोड़ में एक संक्षिप्त प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गई, जिसमें अभी तक की समस्त कार्रवाइयों की जानकारी के साथ-साथ मेडिकल कॉलेज की प्रस्तावना, उसकी आवश्यकता, संभावना, इसके लाभ, संसाधनों का प्रबंध, इत्यादि का विवरण उल्लेखित किया गया। नोट बनाने में डाॅ. तापड़िया की भूमिका मुख्य रही।
अब कहानी नई दिशा में मुड़ चुकी है। इसकी स्थापना के लिए उस संस्था की जुगाड़ की ओर मंथन किया जाने लगा, जिसके अधीन कॉलेज संचालित किया जा सके। और जैसा कि गत अंक में बताया गया था इसके लिए रोगी कल्याण समिति को आधार बनाकर कार्य करने का निर्णय लिया गया।
रोगी कल्याण समिति द्वारा निर्णय पारित
इस कड़ी में पहले 1 सितम्बर की मीटिंग की सूचना जारी हुई। किंतु किसी अपरिहारार्य कारण से इसे स्थगित कर 3 सितंबर 2004 को कलेक्ट्रेट सभागृह में विधिवत रोगी कल्याण समिति की साधारण सभा बुलाई गई। उपस्थित सदस्यों को मेडिकल कॉलेज की जानकारियां तो पूर्व से ही थी, मानसिकता भी बनी हुई थी। कलेक्टर की दैनिन्दिन की प्रगति की भी जानकारी सबको थी। अतः संपूर्ण समिति का विचार एक ही दिशा में था। रोगी कल्याण समिति की नियमावली के जो 13 मार्गदर्शी सिद्धांत, तत्व एवं, उद्देश्य, थे उनमें मेडिकल कॉलेज व पैरामेडिकल कॉलेज स्थापना की पाठ्यक्रम, संचालन, प्रशिक्षण का एक और नया उद्देश्य(प्रस्तावित) क्रमांक 14 जोड़ने हेतु सर्वानुम्मति से पारित कर शासन को अनुमोदन हेतु भेजे जाने का निर्णय लिया गया।
इस कड़ी में पहले १ सितम्बर की मीटिंग की सुचना जारी हुई। किन्तु किसी अपरिहराये कारण से इसे स्थगित कर ३ सितम्बर २००४ को कलेक्ट्रोटे सभागृह में विधिवत रोगी कल्याण समिति की साधारण सभा बुलाई गई। उपस्थित सदस्यों को मेडिकल कॉलेज की जानकारियां तो पूर्व से ही थी, मानसिकता भी बानी हुई थी। कलेक्टर की दैनिंदिन की प्रगति की भी जानकारी सबको थी। अतः सम्पूर्ण समिति का विचार एक ही दिशा में था। रोगी कल्याण समिति की नियामवली के जो १३ मार्गदर्शी सिद्धांत, तत्व एवं उद्देश्य, थे उनमे मेडिकल कॉलेज व् पैरामेडिकल कॉलेज स्तापना की पाठ्यक्रम, सञ्चालन, प्रशिक्षण का एक और नया उद्देश्य (प्रस्तावित) क्रमांक १४ जोड़ने हेतु सर्वानुमति से पारित कर शासन को अनुमोदन हेतु भेजे जाने का निर्णय लिया गया।
प्रस्ताव स्वीकृत होने पर रोगी कल्याण समिति, मेडिकल कॉलेज एवं अन्य चिकित्सा पाठ्यक्रमों की स्थापना हेतु दायित्व का निर्वहन करेगी। बैठक में यह भी प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया कि जिले में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के उद्देश्यों को पूर्ण रूप देने तथा शासन से स्वीकृति प्राप्त करने के लिए पूरा प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जाए। बैठक में अपर कलेक्टर श्री जे.के. जैन ने मेडिकल कॉलेज की स्थापना हेतु गठित की जाने वाली समिति आदि के बारे में विस्तार से अवगत कराया।
बैठक में सिविल सर्जन डा. फैयाज हुसैन,लोक निर्माण विभाग के कार्य पालन यंत्रि श्री महेंद्र विनायक, जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एस. के. दुबे, नगर निगम आयुक्त श्री गोपाल चंद दाड सहित रोगी कल्याण समिति के(मुझ सहित) सदस्य गण उपस्थित थे।
आई.एम.ए. की बैठक में पूर्ण सहयोग का आश्वासन
इधर 7 सितंबर के दिन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की स्थानीय शाखा की बैठक आयोजित हुई जिसका मुख्य चर्चा का विषय मेडिकल कॉलेज ही रहा। बैठक में सदस्यों ने चर्चा की कि मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए रतलाम जिले के सभी सांसद एवं विधायक द्वारा प्रदत्त निधि से रोगी कल्याण समिति को राशि उपलब्ध कराएं। प्रत्येक जनप्रतिनिधि कम से कम 50 प्रतिशत राशि समिति को देंगे तो 10 से 20 करोड रुपए इकट्ठा हो जाएंगे। मेडिकल कॉलेज के प्रस्तावित ट्रस्ट में सभी सांसद, विधायक सदस्य रहेंगे। अतः कॉलेज के प्रति उनकी जिम्मेदारी अधिक है।
बैठक में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हेतु कलेक्टर श्री जी. के. श्रीवास्तव द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में मेडिकल कॉलेज के लिए संगठन ने पूर्ण सहयोग देने का निर्णय लेते हुए कई घोषणाएं की। बैठक बताया गया कि संगठन के सदस्य मेडिकल कॉलेज में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं अन्य कॉलेज की तुलना में वेतन में ₹5000 कम प्राप्त करके देंगे। यदि 10 सदस्य भी कार्यरत रहेंगे तो इसे प्रतिमाह ₹50000 एवं वर्ष में 6 लाख रुपए की बचत का योगदान कॉलेज को दिया जा सकता है।
इस मौके पर मेडिकल कॉलेज प्रारंभ होने पर संगठन का राजेंद्र नगर स्थित सभागार, कॉलेज का ऑडिटोरियम बनने तक सेमिनार व वार्षिक उत्सव एवं अन्य बैठकों के लिए निशुल्क प्रदान करने की घोषणा भी की गई।
बैठक में जिले के बच्चों हेतु मेडिकल कॉलेज में 10 प्रतिशत स्थान आरक्षित रखने और मेडिकल कॉलेज का नाम ‘राष्ट्रभक्त चंद्रशेखर आजाद‘ अथवा ‘रतलाम के महाराज‘ के नाम पर रखने की मांग भी की गई। अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एस.के. दुबे ने की। प्रारंभ में डॉक्टर सुनील राठौर एवं डॉ बी. एल. तापड़िया ने विचार व्यक्त किया। संगठन के अध्यक्ष डॉ एन.के. शाह ने मेडिकल कॉलेज संबंधी बैठकों की जानकारी दी। बैठक में सदस्यों ने मेडिकल कॉलेज स्थापना हेतु सुझाव दिए। जिसमें यह भी था कि आई.एम.ए. के माध्यम से सभी फार्मा कंपनियों से निवेदन किया जाए की मेडिकल कॉलेज की स्थापना में आर्थिक सहयोग देवे। इस बाबत पत्र शीघ्र सभी कंपनियों को आई.एम.ए. के द्वारा लिखा जावे