शहर के सुनियोजित विकास के लिए पूर्व में शहर में नगर सुधार न्यास नामक एक संस्था अस्तित्व में थी। पंचायती राज विधेयक के प्रभाव से 1994-95 में नगर सुधार न्यास का नगर निगम मे विलीनीकरण हो गया था। तब सबसे पहले हमने आवाज उठाई रतलाम मे विकास प्राधीकरण की स्थापना हेतु। नगर के सुव्यवस्थित विकास के लिये इस संस्था की महत्वपूर्ण भूमिका है,
शहर के विकास के लिए प्राधिकरण बनाया जाना शहर के हर जिम्मेदार नागरिक का सपना था। नगर सुधार न्यास का नगर निगम में विलय होने के बाद शहर का सुनियोजित विकास रूक सा गया हैं इसी के चलते प्राधिकरण बनाने की आवश्यकता अनिल झालानी ने महसूस करते हुए जून 1994 में राज्य शासन से पत्र व्यवहार किया। उन्होंने विकास प्राधिकरण बनाये जाने की जमकर वकालत करते हुए शासन का ध्यान इस ओर आकर्षित किया।
माननीय श्री दिग्विजय सिंह जी,
मुख्यमंत्री,
मध्यप्रदेश शासन, भोपाल
महोदय
समूचे प्रदेश के उन समस्त नगरों में जहां मास्टर प्लान लागू हो गए हैं तथा जहां जहां नगर पालिक निगम है वहां विकास प्राधिकरण स्थापित है किंतु राज्य में मात्र रतलाम नगर ऐसा है जहां नगर पालिक निगम होकर विकास प्राधिकरण स्थापित नहीं है।
यही नहीं, राज्य शासन ने अन्य स्थानों पर जहां जहां नगर सुधार न्यास स्थापित थे- नगर पालिकाओं में विलीन करते हुए नगर सुधार न्यास को नगर पालिका विकास शाखा की संज्ञा दी गई है परंतु रतलाम में अवस्थित नगर सुधार न्यास को “नगर पालिक निगम में विलीन करते हुए रतलाम नगर सुधार न्यास को रतलाम नगर पालिक निगम विकास शाखा” की संज्ञा दी गई है। देवअतएव कंडिका एक में वर्णित तथ्यों के प्रकाश में रतलाम में विकास प्राधिकरण स्थापित करने की पात्रता अर्जित है। वास्तव में तत्कालीन नगर सुधार न्यास एक स्वतंत्र इकाई को नगर पालिक निगम में विलीन करने के बजाय यह अनिवार्य था कि रतलाम नगर में विकास योजना के लागू होने धोते ही इसे “विकास प्राधिकरण का दर्जा” दे देना चाहिए था।
आज की परिस्थिति में नगर पालिक निगम स्वास्थ्य शासन संस्था पर नगर सुधार न्यास का भार डालने से नगर पालिक निगम, जो पूर्व से ही अनिवार्य कर्तव्यों का सही निर्वहन नहीं कर पा रही है,को और भार डालकर नगर के विकास की निरंतर गति पर प्रतिकूल प्रभाव गिरना स्वाभाविक है। यही नहीं, नगर निगमो की आर्थिक स्थिति वैसे भी असंतुलित होने से उनके द्वारा नगर विकास की गतिविधियों का..
रतलाम विकास योजना का क्रियान्वयन का दायित्व विकास प्राधिकरण का ही है। प्रस्ताव के अनुरूप विकास होगा। शहर की आवास, व्यावसायिक काम्प्लेक्स, भूमि उपयोग संबंधी मांग के अनुरूप विकास होगा। नए मार्गों का विकास होगा। यह रतलाम के बड़े शहर बनने की दिशा में पहला दिशा साबित होगा। अनिल झालानी, समाजसेवी
रतलाम में विकास प्राधिकरण बनाए जाने के लिए लंबे समय से की जा रही मांग को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान द्वारा हरी झंडी दिए जाने से विकास के नए दरवाजे खुल गए हैं। इससे मास्टर प्लान के अनुसार शहर में अधोसंरचना का विकास तो संभव होगा ही, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार को सस्ती दर पर आवाज भी उपलब्ध हो सकेंगे।
रतलाम विकास प्राधिकरण बनाए जाने के लिए शहर के जनप्रतिनिधि और जनता डेढ़ दशक से मांग कर रहे थे। 1993-94 में नगर सुधार न्यास भंग कर विकास शाखा के रूप में नगर निगम में संविलियन होने के बाद से ही प्राधिकरण की मांग शुरू हो गई थी। पूर्व गृह एवं परिवहन मंत्री हिम्मत कोठारी, पूर्व निगम अध्यक्ष विष्णु त्रिपाठी, समाजसेवी अनिल झालानी, पूर्व महापौर एवं नगर विधायक पारस सकलेचा सहित अनेक लोगों ने इस संबंध में कई बार मुख्यमंत्री के समक्ष मांग रखी। विधानसभा चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने धानमंडी में भाजपा की चुनावी सभा के दौरान प्रोग्राम एवं परिवहन मंत्री हिम्मत कोठारी ने विकास प्राधिकरण बनाए जाने के लिए कहा था तब श्री चैहान ने आश्वस्त किया था कि रतलाम में प्राधिकरण बनाया जाएगा। इसके बाद श्री कोठारी ने इसी साल 1 मार्च को भी मुख्यमंत्री श्री चैहान को पत्र लिखकर मांग दोहराई थी । विधायक श्री सकलेचा भी मुख्यमंत्री के संपर्क में थे। उन्होंने 1 दिन पूर्व भी विकास प्राधिकरण बनाए जाने के संबंध में चर्चा की थी। इन्हीं प्रयासों के चलते रतलाम विकास प्राधिकरण बनाए जाने का ऐलान किया गया। इससे शहरवासियों में हर्ष व्याप्त है। सभी का मानना है कि प्राधिकरण बनने से शहर के विकास की गति तेज होगी।
प्रिय अनिल जी.
नगर की बढ़ती जनसंखा, अस्तव्यस्त बेतरतीब निर्माण दूषित प्रदूषण तथा सुरसा की तरह फैलते अतिक्रमण ने यह सिद्ध कर दिया है कि प्रशासन / नगर प्रशासन नहीं के बराबर हो गया है। मई 90 में अनुमोदित मास्टर प्लान, भूमि विकास अधिनियम और नेशनल बिल्डिंग कोड के नियम, निर्देश तथा दिशानिर्देशों की जिस तरह धज्जियाँ उड़ाई है वह निश्चित नगर के लिए शर्मनाक है। विकास प्रकोष्ठ निगम के लिए मात्र कामधेनु गाय बनकर रह गया है। विकास के नाम पर सड़क, बगीचे, मंदिर की भूमि बेचने तक गोरखधंधा बन गया है। सत्ता में रहकर नगर विधायक जी ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाई है उसके निष्कर्ष की प्रतीक्षा है। नगर के वर्तमान स्वरूप और समय की मांग तथा मास्टर प्लान के अनुरूप नगर की चूड़ी विकास में ‘विकास प्राधिकरण आज की आवश्यकता है इसे जल्द से जल्द रतलाम के लिए स्वीकार किया जाना जनहित में अनिवार्य हो गया है ताकि तेजी से नगर विकास हो सके। आप का बयान निश्चित ही शायद स्वागत योग्य है। विनम्र सुझाव है कि नगर के अन्य संगठनों के साथ ही ब्लॉक कांग्रेस क्रमांक 1 एवं जिला कांग्रेस कमेटी शहर द्वारा शीघ्र प्रस्ताव पारित करवाकर शासन पर दबाव बनाया जाए एवं स्वीकृति कराने इसके लिए जन आंदोलन की जरूरत हो तो वह भी किया जाना चाहिए।
सफलता की कामना करते हुए शुभकामनाओं सहित।
विनीत
बी. आर. शर्माः
सदस्य नागरिक मंच