सृजन भारत के सुझाव व बनी पीएम प्रणाम योजना 3.70 लाख करोड़ बचत से रासायनिक उर्वरकों के साथ साथ गन्दगी और कचरे से भी मिलेगी मुक्ति, ग्रामीणो को मिलेगा रोजगार।
देश के खाद्यान्न संकट को दूर करने के लिए कृषि में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों को लगातार बढावा दिया जाना पड़ा जिससे धीरे – धीरे भूमि की ऊर्वरकता कम हो गई। रासायनिक कीटनाशकों के जहर से नागरिकों को कई तरह की बीमारियों से जूझना पड़ रहा है। सृजन भारत के अनिल झालानी ने 16 वर्ष पूर्व ही भविष्य में आने वाली इस समस्या को भांप कर सरकार को समय के पूर्व चेताना प्रारंभ किया था। अंततोगत्वा लंबे सोच विचार के बाद श्री झालानी के द्वारा रोपे गए सुझाव अब सरकार ने जून माह के अंत में पीएम प्रणाम योजना (PM Pranam Yojana) को मंजूरी दे कर फलीभूत किया है । जिसके अन्तर्गत चरणबद्ध तरीके से देश में रासायनिक उर्वरकों की सब्सिडी खत्म करते हुए जैविक खाद को प्रोत्साहित किया जाएगा।
रासायनिक खाद व कीटनाशक खरीदने के लिए किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी बढ़ते बढ़ते आज लगभग 1-50 लाख करोड़ रु. तक जा पंहुची और तब जाकर सरकार की आँखें खुली। सरकारी सब्सिडी के प्रयासों से कृषि उत्पादन तो बढ़ा। लेकिन धीरे धीरे भूमि की उर्वरता समाप्त होने लगी। रासायनिक जहरीले कीटनाशकों और खादों के उपयोग के कारण कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियां भी बढ़ने लगी। इन समस्याओं के लगातार विकराल होते जाने के साथ ही कृषि में जैविक और प्राकृतिक खादों व कीटनाशकों के उपयोग की चर्चाएं जोर पकड़ने लगी। रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग के आदि हो चुके किसानों को जैविक खाद की ओर मोडना बेहद कठिन काम साबित हो रहा है। क्योंकि जैविक खाद के उपयोग से उत्पादन में आने वाली कमी जैविक खाद की अनुपलब्धता और नकली जैविक खाद जैसी समस्याओं के चलते किसान जैविक खेती के प्रति अब तक आश्वस्त नहीं हो पा रहे है।
इस जटिल समस्या के समाधान के लिए सृजन भारत के संयोजक अनिल झालानी ने सर्वप्रथम वर्ष 2007 में तात्कालीन मनमोहन सरकार को रासायनिक खाद पर दी जाने वाली सब्सिडी को शैने-शैने रोककर इसकी बचत से जैविक खाद बनवाने की दिशा में एक दूरदर्शी योजना का बीज मंत्र देकर पहल करी।
वर्ष 2014 में जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की, तब इस अभियान से जोड़ते हुए, एक विस्तृत नीतिपत्र तैयार कर रासायनिक खाद के बदले जैविक खाद, उसके उत्पादन, रोजगार और उसकी वितीय व्यवसथा से संबंधित एक संपूर्ण आलेख प्रकाशित किया।
अपने प्रयासों को जारी रखते हुए वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर यूरिया खाद के आयात को बन्द करने जैविक खाद को प्रोत्साहन देने के लिए उपयोगी सुझाव दिए थे। 25 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री को प्रेषित अपने पत्र में श्री झालानी ने कहा कि देश के किसान रासायनिक खाद पर पूरी तरह आश्रित हो चुके है और पशुओं के गोबर व खेती बाडी के कचरे से मेहनत करके गांव गांव में जैविक खाद बनाने की परम्परा समाप्त हो चुकी है।जबकि इस तरह से गांवों में सफाई भी हो जाया करती थी। श्री झालानी ने सुझाव दिया था कि रासायनिक खाद का आयात बन्द करने और जैविक खाद को बढावा देने की योजना के प्रथम चरण में शासन को यह घोषणा करना चाहिए कि शासन तीन वर्ष की अवधि तक किसानों को सिर्फ भारत में उत्पादित रासायनिक खाद ही अनुपातिक रुप में उपलब्ध कराएगी और उसका आयात प्रतिवर्ष कम करते हुए तीन वर्षों में पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में किसान भाईयों की अपनी आवश्यकता की खाद या तो स्वयं बनाकर या कहीं से जैविक खाद खरीदकर प्राप्त करना पड़ती। इसके लिए शासन प्रत्येक किसान को स्वयं की आवश्यकता के लिए खाद बनाने पर किसानों को आवश्यक सहयोग व सहायता उपलब्ध कराएगा। इस प्रकार योजनाबद्ध ढंग से काम करने पर रासायनिक खाद के आयात बन्द कर बहूमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत करते हुए जैविक खाद उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सकता है और इससे रासायनिक खादों पर दी जाने वाली सब्सिडी की राशि से स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन भी किया जा सकता है।
श्री झालानी ने इस पत्र की प्रतिलिपि तत्कालीन कृषि मंत्री और रसायन तथा उर्वरक मंत्री को भी भेजी थी।
इस पत्र के उत्तर में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बताया गया कि श्री झालानी का सुझाव पत्र आवश्यक कार्यवाही के लिए रसायन तथा उर्वरक मंत्रालय को प्रेषित किया गया है। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा श्री झालानी को पत्र लिखकर बताया गया कि उनके सुझाव पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जा रहा है। कालांतर में श्री झालानी के सुझाव पर आंशिक अमल भी दिखाई दिया इसके बाद भी भारत गौरव के श्री झालानी यही नहीं रुके उन्होंने पुनः 21 फरवरी 2017 को खाद सब्सिडी और मनरेगा से जैविक कृषि को प्रोत्साहित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को फिर से एक नया सुझाव पत्र प्रेषित किया।
अपने इस पत्र में जैविक खेती अभियान से जुडे श्री झालानी ने बजट में उस समय मनरेगा के लिए राशि बढ़ाकर 45 हजार करोड रु. किए जाने को आधार बनाते हुए सुझाव दिया कि इस राशि का उपयोग रोजगार बढ़ाने के साथ साथ जैविक खेती को बढावा देने के लिए भी किया जा सकता है। इससे स्वच्छ भारत अभियान को भी बल मिलेगा। श्री झालानी ने 2017 में भेजे अपने पत्र में कहा कि वर्ष 2017 में केन्द्र शासन ने रासायनिक खाद के लिए 70 हजार करोड रु. की सबसिडी का प्रावधान रखा था। श्री झालानी ने सुझाव दिया था कि मनरेगा की बढ़ी हुई राशि को जैविक खाद बनाने के रोजगार की ओर व्यय करना चाहिए।
इस प्रकार उत्पादित जैविक खाद सरकार क्रय करें और उस खाद को अन्य किसानों को विक्रय कर फिर उस राशि से जैविक खाद ख़रीदने, बेचने, बनाने का चक्र चलाना चाहिए। यदि इस प्रकार की योजना बनाई जाती है तो जहां एक ओर देश में जैविक खाद की उपलब्धता बढ़ेगी, वहीं किसानों की रासायनिक खाद पर से निर्भरता घटेगी । इसके अलावा रासायनिक खाद पर दी जा रही सबसिडी मात्र से ही बड़े पैमाने पर रोजगार देते हुए बायो खाद की उपलब्धता बढाई जा सकती है। श्री झालानी ने अपने पत्र में लिखा था कि यह बड़े आश्चर्य की बात है कि हमारे आस पास की गंदगी से रोजगार मिल सकता है। इस गंदगी को सोना (जैविक खाद) बनाकर काम में लिया जा सकता है, लेकिन यह नहीं करते हुए हम एक लाख करोड़ रु जहरीली रासायनिक खाद को खरीदने पर खर्च करते है।
अपने प्रयासों को जारी रखते हुए इस सुझाव के करीब तीन वर्ष बाद चिंतक एवं विचारक श्री झालानी ने पुनरू 13 मई 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देश में एक लाख करोड़ की जैविक खाद खरीदने हेतु चरणवार अग्रिम भुगतान देकर रोजगार सृजित करने का सुझाव दिया। श्री झालानी ने अपने पत्र में लिखा कि सरकार ने जनधन खातों में सीधे राशि जमा कर लोगों को तात्कालिक राहत तो दी है। लेकिन अर्थव्यवस्था की दृष्टि से बार बार इस प्रकार राशि देना उचित नहीं होगा। उत्तम होगा कि सरकार लोगों को रोजगार के लिए प्रेरित करें तथा राहत हेतु दी जा रही राशि को उत्पादक कार्यों में लगाएं।
अपने दिये सुझाव में आगे जोड़कर योजना प्रस्तुत करी की सरकार को चाहिए कि प्रत्येक पंचायत में 5-5 करोड़ की जैविक खाद स्थानीय निर्धनतम परिवारों से क्रय करने का प्रावधान करें। इन निर्धन परिवारों से जैविक खाद का निर्माण कराया जाए। इसके लिए प्रत्येक परिवार को स्थान चयन कर गड्ढे खोदने पर तीन हजार रु. अग्रिम प्रदान किए जाए। गढ्डे पूरी तरह भर जानेपर इन्हो दो दो हजार रु. और प्रदान कर दिए जाए। खाद तैयार हो जाने पर प्रत्येक परिवार द्वारा तैयार खाद का भुगतान कर सरकार यह जैविक खाद फसल के समय किसानों को विक्रय कर सकती है।
इस सुझाव के मात्र 6 दिनों के बाद 19 मई 2020 को फिर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखा कि इस समय भारत सरकार ने रासायनिक उर्वरक पर सबसिडी हेतु करीब एक लाख करोड़ का प्रावधान किया हुआ है। सबसिडी की ये धनराशि जैविक खाद के उत्पादन पर निवेश की जाए जिससे कि न केवल किसानों को जैविक खाद उपलब्ध हो सके बल्कि सबसिडी पर खर्च होने वाली इस धनराशि से ग्रामीण क्षेत्र के निर्धन परिवारों को बड़ी संख्या में रोजगार भी उपलब्ध हो सके। इसी के साथ ग्रामीण क्षेत्रों की जो गंदगी है। वह भी उर्वरक के रूप में उपयोग में लाकर भूमि की ऊर्वरा शक्ति भी बढ़ाई जा सकती है।
श्री झालानी ने अपने स्वान्तः सुखाय अभियान मेंअपने शुभचिन्तकों के लिये यह जानकारी साझा करते हुए बताया की उनके द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लगातार लिखे गए पत्रों के बाद आखिरकार भारत सरकार ने जनमाह के अंत में श्री झालानी के सुझावों पर वैसा का वैसा अमल करते हुए वैकल्पिक खाद को प्रोत्साहन देने के लिए अब 3.70 लाख करोड की पीएम प्रणाम (Promotion of Alternative nutrition for agriculture management) मह्त्वाकांशी योजना को मंजूरी दे दी है।
सरकार ने घोषणा की है की भविष्य में खाद सब्सिडी को स्थिर रखते हुए इस की मदद से अब देश में चरणवार ढंग से रासायनिक खाद की निर्भरता को कम करते हुए वैकल्पिक खाद और जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।