ग्यारवाँ अंक- ’कहानी-रतलाम मेडिकल काॅलेज की…(गंताक से आगे)…(11)’
कलेक्टर का चार्ज लेते ही श्री जी. के. श्रीवास्तव साहब ने मेडिकल कॉलेज की स्थापना की योजना पर जो तीव्र गति से कार्य प्रारंभ किए थे, उसी आशा के अनुरूप उन्हें परिणाम दिखाई देने लगे थे।
इससे उत्साहित होकर उन्होंने कॉलेज की धनराशि की व्यवस्था के संबंध में कार्यवाही आगे बढ़ाते हुए सर्वप्रथम जिले के सभी विधायकों एवं सांसदों को अपने इस योजना की जानकारी को साझा कर उनकी सांसद व विधायक निधि की धनराशि कॉलेज स्थापना में देने के लिए सभीको सहमत किया। चूंकि अभी निकट भविष्य में सामने ऐसा कुछ दिखाई दे ही नहीं रहा था कि कल के कल ही काॅलेज खुल जायेगा, अतः सभी जनप्रतिनिधियों ने सहजता से भविष्य की संभावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए कलेक्टर के इस प्रयास में हां में हां भरी। वैसे तो यह निधी जनता की मांगें पर उचित व अनुकूल स्थान पर खर्च कि जाती है किन्तु मेडिकल काॅलेज को लेकर शहर मे वातावरण बन रहा था ऐसी सूरत में स्वयं की ओर से जनता के बीच कोई नकारात्मक संदेश न जाए, इसलिए सभी ने अपनी सांसद व विधायक निधि इसमें देने की सहमति प्रदान की।
फिर एक दिन, 11 अप्रैल 2004 को महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज इंदौर के डीन रहे डॉ डी.के. तनेजा जिन्हें रतलाम आमंत्रित किया गया था, वे पधारे और रतलाम कलेक्टर ने उनके साथ रतलाम के प्रबुद्ध नागरिकों, दानदाताओं, समाजसेवियों, उद्योगपतियों और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक आयोजित की। इस महत्वपूर्ण बैठक में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हेतु क्या-क्या अनिवार्यता है तथा उसकी पूर्ति किस प्रकार की जा सकती है इस संबंध में विस्तार से चर्चा हुई। कई सुझाव भी आए। बैठक में पूर्व सांसद माणक भाई के अलावा पूर्व विधायक शिवकुमार झालानी, उद्योगपति चेतन कश्यप, रेड क्रॉस के उपाध्यक्ष होने के नाते मैं (अनिल झालानी), शब्बीर डासन, अपर कलेक्टर जे.के. जैन, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एम.एल. गुप्ता व डॉ तापड़िया उपस्थित रहे। नगर विधायक श्री हिम्मत कोठारी उस दिन शहर से बाहर होने के कारण इस बैठक में उपस्थित नहीं रहे व उन्होने इस असमर्थता का पूर्व में ही अवगत करा दिया था।
जिला कलेक्टर श्रीवास्तव द्वारा बैठक का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए बताया कि किसी भी जिले की आर्थिक उन्नति के लिए वहां पर उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु संस्थान का अत्यधिक महत्व है। जिला चिकित्सालय रतलाम में 400 बिस्तर होने के कारण रतलाम को मेडिकल कॉलेज की बात की स्थापना की पात्रता आती है। चिकित्सालय के साथ 20 एकड़ भूमि तथा आसपास अन्य भवन है। उनका उपयोग भी किया जा सकता है। मेडिकल कॉलेज शुरू करने के लिए 10 करोड़ की एक बड़ी धनराशि की आवश्यकता प्रारंभ में होगी। उसके लिए शासकीय इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ किस प्रकार से निजी संस्थानों ट्रस्टों,ं व्यक्तियों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती है, यह एक विचारणीय बिंदु है।
बैठक में डॉक्टर तनेजा द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि किस प्रकार शासकीय तौर पर निजी तौर पर अथवा एक ट्रस्ट का गठन कर शासन की उपलब्ध संसाधनों के साथ जनता भागीदारी से मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जा सकेगी। उन्होंने बैठक में एक महत्वपूर्ण जानकारी यह भी दी कि अब संशोधित उदार मापदण्डों के अनुसार भूमि चिकित्सालय के साथ लगी होना आवश्यक नहीं होगा। 10 किलोमीटर की परिधि में भी काॅलेज की स्थापना की जा सकती है। डॉक्टर तनेजा द्वारा यह भी परामर्श दिया गया था की मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ नर्सिंग कॉलेज डेंटल कॉलेज फार्मेसी कॉलेज व अन्य पैरा मेडिकल कोर्सेज प्रारंभ किया जा सकते हैं। इससे अधिक सुविधाओं के साथ-साथ इसकी आय में भी वृद्धि होगी। (उन्हें बताया गया कि पूर्व में नर्सिंग कॉलेज की स्थापना प्रशासन शासन को भेजा जा चुका है) इसके अलावा जन सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु यह भी निर्णय लिया गया की मेडिकल कॉलेज के विभिन्न भवनों के निर्माण में दान देने वाली संस्थाओं के प्रोत्साहन हेतु उनके नाम पर डिपार्टमेंट का नामकरण किया जाए। तय किया गया कि अतिशीघ्र शहर के दानदाता एवं स्वयंसेवी संस्थाओं तथा ट्रस्टों की बैठक भी आयोजित की जावे।
श्री गोविन्द काकानी
श्री गोविन्द काकानी की सदाशयता से पूरा शहर परिचित है। उनकी रचनात्मक सोच सर्वविदित है। शहर में हो रहे इस रचनात्मक प्रयास को लेकर उत्साहित होकर कुछ सकारात्मक विचार के लोगों ने शहर में इसके पक्ष में वातावरण बनाने का प्रयास शूरू किया। इस कड़ी में सर्वप्रथम तत्कालीन नगर निगम की एम आई सी के सदस्य श्री गोविंद काकानी ने दिनांक 13 अप्रैल 2004 को एक विस्तृत वक्तव्य जारी कर मेडिकल कॉलेज की स्थापना से रतलाम शहर को रोजगार एवं व्यापार के क्षेत्र में होने वाले लाभ गिनाए। उन्होंने कलेक्टर के प्रयासों की सराहना करी और कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में रतलाम के पिछडेपन का लगा दाग मेडिकल काॅलेज की स्थापना से दूर होगा वही नाना प्रकार की चिकित्सकीय सुविधाओं का विस्तार होगा। श्री काकानी को नगर निगम आयुक्त ने जे.सी. बौरासी से मेडिकल कॉलेज की स्थापना में हर संभव सहायता देने की अपील भी की। आपके साथ पार्षद विजय कसेरा, बलविन्दर सिंह सोढी, सरोज चत्तर, मनीषा देशपाण्डे व नगर सुरक्षा समिति अध्यक्ष अभय जैन सहित अनेक गणमान्य नागरिको से हस्ताक्षर उक्त ज्ञापन भेजकर मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती को शहर में शीघ्र मेडिकल काॅलेज की स्थापना हेतु मांग रखी गई।
इसी प्रकार एक अन्य अपील विद्यार्थी मोर्चा के पूर्व दिग्गज छात्र नेता श्री सुभाष दवे, विनय पिपलिया व झमक भरगट आदि ने शहर में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की दिशा में कलेक्टर के प्रयासों का स्वागत किया।
वातावरण इतना उत्साहित था कि 15 अप्रैल 2004 के दिन जिलाधीश के निर्देश पर एसडीएम शहर श्री अरूण रावल, तहसीलदार श्री भुवन गुप्ता तथा राजस्व विभाग के अधिकारी सहित अन्य विभागों के अधिकारीगण जावरा रोड पर डोसीगांव के निकट एक सरकारी भूमि मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए चयन करने हेतु चले भी गए। फिर तत्काल उसकी जानकारी एकत्र कर जिलाधीश के सम्मुख प्रस्तुत किया। इस प्रकार भूमि तो लगभग चयन कर ली गई, किंतु अधिक दूरी व घुमावदार रास्ते व जिला अस्पताल से सीधा संपर्क ना होने के कारण इस भूमि को अंतिम रूप से चयन नहीं करते हुए विचारार्थ रखा गया।