नौ वां अंक –‘कहानी-रतलाम मेडिकल काॅलेज की…(गंताक से आगे)… (9)’
मेडिकल काॅलेज की स्थापना की शासकीय स्तर पर सर्वप्रथम पहल करने वाले कलेक्टर श्री मनोज झालानी का जुलाई 2001 मे स्थानांतरण हो गया। श्री मनोज झालानी ने रतलाम जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के संबंध में उनकी कड़ी मेहनत रही । रोगी कल्याण समिति की नियमित बैठक कर के जिला चिकित्सालय में सुधार के लिए एक प्रयोग प्रारंभ किया व मरीजों से फीडबैक व्यवस्था प्रारंभ करवाई। उस प्रपत्र के माध्यम से अध्ययन कर उन्होंने जिला चिकित्सालय को सर्व सुविधा युक्त बनाने में तथा सुधारने का भरसक प्रयास किया।
श्री मनोज झालानी द्वारा प्रारंभ की गई स्वावलंबी योजना हेतु रतलाम जिले से बड़ी धनराशि एकत्र कर मात्र 50 व ₹100 में एक परिवार को स्वास्थ्य सुविधा सुलभ कराने की योजना बनाई गई। आगे चलकर यही योजना भारत सरकार तथा राज्य सरकार की अनेक स्वास्थ्य योजनाओं का आधार बनी।
वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन से आज भी जुडे श्री मनोज झालानी, रतलाम मे मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के प्रयासो में तत्समय अपने हथियार डाल चुके थे। अलबत्ता रतलाम में इस विषय को लेकर के बहुत उत्सुकता एवं जागरूकता थी। अतः जनता में यह चर्चा का विषय हमेशा की तरह बना रहा।
इसी दरम्यान जून 2002 में मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के रतलाम आगमन पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं अभिभाषक श्री फतेहलाल जी कोठारी के निवास पर उद्योग मंत्री श्री नरेंद्र नाहटा एवं कृषि मंत्री महेंद्र सिंह कालूखेड़ा प्रभारी मंत्री हीरालाल सिलावट की उपस्थिति में रतलाम में मेडिकल कॉलेज खोलने के संबंध में चर्चा चली।
वहां मुख्यमंत्री ने वित्तीय संसाधनों को अभाव की विवशता दर्शाकर कहा कि सरकार मेडिकल कॉलेज नहीं खोल सकती । यदि कोई निजी क्षेत्र मेडिकल कॉलेज खोलने को तैयार हो तो 20 करोड़ की राशि जमा कर उसे जिला चिकित्सालय लीज पर दिया जा सकता है। मुख्यमंत्री के इस संकेत के बाद शहरवासियों की वर्षों से चली आ रही मेडिकल कॉलेज खोलने की मांग पर एक प्रकार से विराम लग गया।
लेकिन मुद्दा फिर भी अभी जीवित है चूंकि श्री हिम्मत कोठारी को छात्र संघ समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। वे राजनीति मे निरंतर सक्रिय रहे। उनके साथ के अन्य सभी समकालीन नेता बिखर गए या निष्क्रिय हो गए परिणामतः श्री कोठारी के अनुयायियों द्वारा इस मुद्दे को रतलाम विकास का एक अहम मुद्दा मंडित कर हिम्मत जी का स्वप्न प्रचारित करके ,जन चर्चा में यथावत रखा।
जून 2003 में नई दुनिया समाचार पत्र में एक शुभचिंतक द्वारा विज्ञापन किसी के द्वारा प्रकाशित हुआ। जिसमें श्री चेतन कश्यप के हवाले से उन्होंने रेलवे चिकित्सालय को शामिल करते हुए मेडिकल कॉलेज खोलने की मांग की गई होना बताया।
ईधर मेडिकल कॉलेज का रंग डॉक्टरों के ऊपर भी चढ़ने लगा। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राजेंद्र नगर स्थित सभागृह स्वर्ण जयंती महोत्सव सितंबर 2003 में कलेक्टर प्रभात पाराशर की उपस्थिति में संपन्न हुआ। वरिष्ठ चिकित्सक पूर्व सिविल सर्जन डॉक्टर एसएन मेहरा ने इस समारोह में कहा कि रतलाम में आधुनिक सुख सुविधाओं से युक्त चिकित्सालय एवं मेडिकल कॉलेज की महती आवश्यकता है। इस कार्यक्रम में डॉ पी डी बंसल ,डॉ प्रेम सिंह राठौड़, डॉ बीएस जैन, सहित चिकित्सा जगत के सेवा देने वाले समस्त डाॅक्टर उपस्थित थे। यह उन सबकी सामूहिक आवाज थी।
जुलाई 2001 से जनवरी 2004 कलेक्टर रहे प्रभात पाराशर ने अपनी ओर से मेडिकल कॉलेज के लिए अपने संपूर्ण कार्यकाल में कोई विशेष पहल नहीं हुई। कलेक्टर श्री प्रभात पाराशर के इस कार्यकाल में रेड क्रॉस सोसाइटी व रोटरी क्लब रतलाम सेंट्रल द्वारा जिले में तीन बड़े-बड़े पोलियो करेक्टिव शिविर लगाए गए। और इस कार्यकाल में भी रेड क्रॉस तथा स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बहुत कार्य हुए। श्री प्रभात पाराशर के जनवरी 2004 मे स्थानांतरण होनेे के पश्चात शासन द्वारा श्री जी. के. श्रीवास्तव रतलाम जिले के नए कलेक्टर नियुक्त हुए ।
उन दिनों के दौर मे रोगी कल्याण समिति बहुत सक्रिय थी। जिले की चिकित्सा व्यवस्था के सुधार व गुणात्मक सुधार को लक्ष्य लेकर प्रशासन एवं सक्रिय समाजसेवी इस समिति के माध्यम से जिले के दूरस्थ आंचल से आने वाले और कठिन असाध्य रोगों की स्वचिकित्सा सुविधा के लिये किसी न किसी रूप मे प्रयासरत रहते थे।
मैं(अनिल झालानी ) रेडक्रास उपाध्यक्ष और शब्बीर डासन कोषाध्यक्ष रहते रोगी कल्याण समिति के सक्रिय सदस्य थे इस कारण चिकित्सा स्टाॅफ हमारे सेवा कार्यों से प्रभावित होकर समुचित सम्मान देते थे।
कदाचित परे जाकर हमारे सुझावों का पालन भी होता था। इसा कड़ी मे जब श्री जी.के.श्रीवास्तव रतलाम कलेक्टर बनकर सर्वप्रथम सज्जन मिल के बंगले मे अपने अस्थाई पड़ाव पर ठहरे थे, तब एक दिन शाम को रेड़क्रास प्रतिनिधी मण्डल मे मैं स्वयं (अनिल झालानी) शब्बीर डासन, कैलाश जोशी, मोहनलालजी मकवाना उनसे सौजन्य भेंट करने पहुंचे। काफी देर चर्चा हुई और विभिन्न स्वास्थ गतिविधियों के बीच हमने उनसे रतलाम मे मेडिकल काॅलेज स्थापित होने की जनभावना पूर्व कलेक्टरों व प्रशासनिक स्तर पर तथा विभिन्न व्यक्तियों के द्वारा स्वास्थ सेवाओं, किये गए प्रयासों की संक्षिप्त जानकारी दी। जिसको उन्होंने बड़े ध्यान से सुना।
यह वह दिन था जिसमे काॅलेज की स्थापना के प्रयासो मे तेजी से एक नया मोड़ आया। ’क्रमशः’