सातवा अंक.. कहानी-रतलाम मेडिकल काॅलेज की…(गंताक से आगे)… (7)
इसी वर्ष के अंत में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में श्री शिवकुमार झालानी चुनाव हार चुके थे और श्री हिम्मत कोठारी विधायक बने। नई सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने कलेक्टर मनोज झालानी को जिले की प्रमुख समस्याओं को चिन्हित कर विकास कार्यों को आगे बढ़ाने का फ्री हैंड दिया। उन दिनों जिले के विकास संबंधी समस्त निर्णय जिला सरकार के माध्यम से हुआ करते थे। रतलाम में मेडिकल कॉलेज इस चुनाव में भी छोटा-मोटा चुनावी मुद्दा रहा था।
इस बार जिला मुख्यालय पर चिकित्सकीय शैक्षणिक सेवा विस्तार एवं जिले के विभिन्न रोगों से ग्रस्त रोगियों को बेहतर उपचार सुविधा उपलब्ध कराने के बहाने से जिला कलेक्टर मनोज झालानी ने जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, चिकित्सा क्षेत्र में कार्य करने वाले, एवं उद्योगपतियों तथा आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने में सहयोग दे सकने वाले समाजसेवियों आदि की एक बैठक 8 जुलाई 1999 के दिन कलेक्टर कार्यालय में बुलाई।
यह पहले से ही तय था की बैठक का मुख्य विषय मेडिकल कॉलेज की स्थापना की संभावनाओं की तलाशना ही रहेगा।
सर्वप्रथम नगर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ निशिकांत शर्मा ने रतलाम एजुकेशनल सोसायटी के माध्यम से ‘उनके स्वयं के द्वारा शिवकुमार जी के साथ रहकर’ पूर्व में मेडिकल कॉलेज खोले जाने हेतु किए गए प्रयासों की जानकारी देते हुए बताया कि कॉलेज खोले जाने हेतु लगभग 9.50 करोड़ (तत्कालीन अनुमान) की आवश्यकता होगी। इसमें दो करोड़ की राशि बैंक गारंटी हेतु तथा 7.50 करोड़ की राशि कॉलेज की स्थापना हेतु व्यय होना अनुमानित है।
उन्होंने कॉलेज स्थापना में आने वाली विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों से भी सबको अवगत कराया।
बैठक में जिला कलेक्टर ने इंडियन मेडिकल काउंसिल द्वारा निर्धारित मापदंडों के संबंध में अपना होम वर्क पूर्व से कर रखा था। बैठक में उपस्थित जनों को विस्तार से जानकारी देते हुए आशा जताई की मेडिकल कॉलेज हेतु 500 पलंग वाले अस्पताल के मापदंड की पूर्ति जिला चिकित्सालय के साथ-साथ रेलवे हॉस्पिटल को शामिल कर के पूर्ण हो सकती है। बैठक में सदस्यों ने पक्ष विपक्ष में अलग-अलग राय देना प्रारंभ की। इस पर विधायक श्री मोतीलाल दवे ने कहा कि हमारा पहले में प्रयास मेडिकल कॉलेज खोलने का ही है। इसके बाद अन्य विषय तथा उच्च शिक्षा के विकास पर बात की जाए।
इसी दौरान विधायक हिम्मत कोठारी और महापौर जयंतीलाल जैन ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए शासकीय अथवा निजी संस्था स्तर पर कॉलेज खोले जाने के बारे में लोगों से विचार-विमर्श करने के पश्चात योजना को मूर्त रूप देने को कहा। उद्योगपति चेतन कश्यप और बोहरा समाज के प्रतिनिधि शब्बीर डॉसन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मेडिकल कॉलेज खोले जाने में यदि रतलाम के छात्र जगत को अधिक लाभ प्राप्त होता है तो वह प्रभावी राशि का सहयोग देने को तैयार रहेंगे। इसी प्रकार की बात अन्य उपस्थित उद्योगपति ने भी दोहराई। श्री कश्यप ने इस दौरान मेडिकल कॉलेज खोले जाने की प्रक्रिया में शासकीय स्तर से जिला चिकित्सालय में चिकित्सा देने की सुविधा आवश्यक होना और नगर वासियों के बीच इसके लिए इच्छाशक्ति मजबूत होना पहली शर्त बताया।
बैठक में मंडल रेल प्रबंधक श्री दीप नारायण माथुर, इप्का के मैनेजर श्री नागौरी व अन्य उद्योगो के प्रतिनिधि, इनके साथ जिला पुलिस अधीक्षक एम पी द्विवेदी, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एच एल गोठवाल, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ(श्री मति) सी.के.ठाकुर, सिविल सर्जन डॉ(श्रीमती) एन. सिन्हा, संयुक्त कलेक्टर राजेश जैन ने चर्चा में भाग लेते हुए रतलाम में मेडिकल कॉलेज खोले जाने में अपनी-अपनी राय व्यक्त की।
बैठक किसी ठोस निर्णय के मुकाम पर नहीं पहुंच सकी। अंत में बैठक में सबकी सहमति पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना के संबंध में संभावनाओं का अध्ययन करने हेतु संयुक्त कलेक्टर श्री एस.आर. ब्राह्मणों को नोडल अधिकारी नियुक्त करते हुए एक कोर कमेटी का गठन किया गया।